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दिल की महफ़िल में बुलाता वीडियो, वीडियो अच्छा लगे तो चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें
https://youtu.be/Ur3j2Y3rjP4
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कविताशायरी चैनल पेश करते हैं 'लूडो लूडो' एक ऐसी पेशकश जिसमे आपके लिए है लूडो खेल पर कविता और जबरदस्त कॉमेडी डायलॉग का तड़का, तो आज और अभी देखिये इसे लिंक पर क्लिक करके-
https://youtu.be/Si4jyMIdoIM
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कविताशायरी चैनल पेश करते हैं कॉमेडी और मस्ती से भरपूर 'सेव ट्री सेव लाइफ' नया कॉमेडी नाटक, देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें
https://youtu.be/rfld6nDryr4
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लघु कथा
ट्रेन के चण्डीगढ़ पहुँचने के थोड़ा पहले से ही कोच सेवक ने कम्बल, चादरें, तकिए सहेजने शुरू कर दिए।मेरी सीट पर पानी की बोतल और हैण्डबैग रखा देखकर, थोड़े असमंजस और बाकी संकोच के साथ पूछा,'मैम आपको उतरना है? '
मेरे मुँह से सहसा निकला- और क्या! चलती ट्रेन में किसी के घर बसते हैं!
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Pyar bo h jo har kisi ko nahi milta. Milta h to bo log kadar nahi karte. Pyar ki
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Nrn
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#गौरैया दिवस
गौरैया
वो सुबह की चहचहाहट तेरी
बहुत याद आती है गौरैया;
मेरे आँगन को छोड़कर,
कहाँ चली गयी नन्ही गौरैया?
बाबुल के अंगने को छोड़कर
ससुराल चली जाती हैं बेटियाँ;
जब याद आती है उनकी,
मात-पिता को रुलाती हैं बेटियाँ।
बेटी और तुममें कुछ फ़र्क़ नहीं
फिर क्यों मेरा अंगना छोड़ गई;
क्या अपराध हुआ था मुझसे,
जो बाबुल को अकेला छोड़ गई।
लौट आओ मेरी प्यारी गौरैया
तेरी बहना मिलने आई है;
तुम भी चहचहा उठो लाडो,
बाग़ों में खिली अमराई है।
तेरे आने से चिड़िया रानी
ये सूना आँगन चहक उठेगा;
सुबह-सुबह सुन मधुर ध्वनि,
मन मेरा भी लहक उठेगा।
-सुरेन्द्र गोयल
दिल्ली
गौरैया
वो सुबह की चहचहाहट तेरी
बहुत याद आती है गौरैया;
मेरे आँगन को छोड़कर,
कहाँ चली गयी नन्ही गौरैया?
बाबुल के अंगने को छोड़कर
ससुराल चली जाती हैं बेटियाँ;
जब याद आती है उनकी,
मात-पिता को रुलाती हैं बेटियाँ।
बेटी और तुममें कुछ फ़र्क़ नहीं
फिर क्यों मेरा अंगना छोड़ गई;
क्या अपराध हुआ था मुझसे,
जो बाबुल को अकेला छोड़ गई।
लौट आओ मेरी प्यारी गौरैया
तेरी बहना मिलने आई है;
तुम भी चहचहा उठो लाडो,
बाग़ों में खिली अमराई है।
तेरे आने से चिड़िया रानी
ये सूना आँगन चहक उठेगा;
सुबह-सुबह सुन मधुर ध्वनि,
मन मेरा भी लहक उठेगा।
-सुरेन्द्र गोयल
दिल्ली
#कविता
आस्था
उठता हूँ हर सुबह
एक आस्था को सँजोये
कि जीवन में कुछ करना है
परन्तु;
दिन गुजर जाने के बाद लगता है,
अगली सुबह
एक और आस्था जन्म लेगी
पुनः मिट जाने के लिये।
© सुरेन्द्र गोयल
दिल्ली
आस्था
उठता हूँ हर सुबह
एक आस्था को सँजोये
कि जीवन में कुछ करना है
परन्तु;
दिन गुजर जाने के बाद लगता है,
अगली सुबह
एक और आस्था जन्म लेगी
पुनः मिट जाने के लिये।
© सुरेन्द्र गोयल
दिल्ली
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